Sunday, August 30, 2009

कौन हैं लिबरल ?


आदि काल से कुलीन वर्ग सत्ता पक्ष का रहा है। कुलीन का अर्थ ही सत्ताधारी समाज माना जाता रहा है। कुलीन वर्ग के पास हमेशा से वो सहुलियतें रही वो सुविधाएं रहीं जो उनके अधीन लोगों के सपनों की दुनिया में भी नहीं मिलती हैं। हमेंशा कुलीनों का वर्ग सबसे पहले किसी वस्तु का उपभोग करता या किसी सुविधा को पाता है। लेकिन इसके साथ ही कुलीन वर्ग अपने समाज, काल और देश की परंपराओं का निर्वाह भी करता आया है। शायद ये उसने अपनी सत्ता को मज़बूत बनाए रखने के लिए जरूरी समझा है।

यही वे कुलीन रहे हैं, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए समाज को कभी आधुनिक नहीं होने दिया। कुलीन संस्कृति ने दुनिया को हमेशा कुरीतियों और अंधविश्वास में जकड़े रखा है। लेकिन वो बराबर अपने को बाकि दुनिया के साथ चलाता रहा और यहीं से लिबरल शब्द की शुरुआत हुई। खुद को लिबरल कहने वाले मूल्त: कुलीन वर्ग ही था। वो समय के हिसाब से और जगह के हिसाब से नीति बनाने में कामयाब रहा...। क्योंकि ये वर्ग पढ़ा लिखा था..., वो सही समझ रखता था। लिहाज़ा अपनी प्रगति के रास्ते को और आगे बढ़ाने के लिए वो लिबरल है गया। अपने अधीन लोगों पर वो वही मध्ययुगीन और बरबर अत्याचार करता रहा लेकिन दूसरे कुलीनों से मिलने पर वो भद्र बनकर पेश हुआ।

कुलीन या लिबरल आधुनिक दुनिया का सबसे चतुर शब्द है। और इसे खोजने के पीछे का उद्देश्य भी उतना ही चतुर है। असल में आप अपने समाज या अपने अधीन जनता को तो उसी पुराने ढर्रे पर रखना पसंद करते हैं लेकिन खुद को आधुनिक्ता की दौड़ में आगे बढ़ाना चाहते हैं। यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत भी होती है। क्योंकि एक लिबरल खुद को दो स्थितियों में बिलकुल अलग अलग रूप से पेश करता है। साथ ही जैसा व्यक्ति देखता है वैसा व्यव्हार वो उससे करता है... साफ है वो व्यक्ति भ्रष्ट है।

लिबरल होना दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचार में इसलिए भी रहा क्योंकि लिबरल आंदोलन को पर्दे के पीछे से बाज़ार निर्देशित करता रहा है। बाज़ार ने लिबरल को भांपा और उसे एक प्रॉडक्ट के तौर पर पेश किया जिसके लिए उसने प्रचार माध्यमों का भरपूर उपयोग किया है।

बहरहाल आज लिबरल समाज सही मायने में दुनिया भर का वो उपभोग्ता वर्ग है जो अतीत में कुलीन था। और जो आज इतना सझम है कि बाज़ार में उपलब्ध सभी वस्तुओं का भोग कर सके। लेकिन आज भी दुनिया भर में वो लोग मौजूद हैं जिनपर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ये उपभोगता वर्ग अथवा लिबरल वही अत्य़ाचार कर रहे हैं।