लाला लाजपत राय :-
मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढने के पश्चात् मै इस निष्कर्ष पर पंहुचा हूँ की उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है, मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिंदुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओ के साथ एक नहीं हो सकते, क्या कोई मुसलमान कुरान के बिपरीत जा सकता है ? हिन्दुओ के विरुध कुरान और हदीस की निवेधज्ञा क्या हमें एक होने देगी ? हमें डर है की हिंदुस्तान के ७ करोर मुसलमान अफगानिस्तान, मध्य एशिया अरब, मेसोपोटामिया और तुर्की के हथियार बंद गिरोह मिलकर अपर्त्याशित स्थिति पैदा कर देंगे.
से लिया गया :- पत्र सी आर दास, बी एस ए बाद्मय खंड १५ पृष्ठ २७५
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ये साफ है कि आज़ादी मिलने से बहुत पहले ही हिन्दू और मुसलमानों के सहअस्तित्व को लेकर शंकाएं नहीं थी बल्कि सही मायने में ये विचार ही गलत माना जाता रहा है। लाला लाजपत राय भी उन्ही लोंगों में से थे जिन्होंने ये समझ लिया था कि हिन्दू मुसलमानों के लिए एक साथ रहना ठीक नहीं है। लेकिन कथित सैक्यूलरों ने जिस समाज की धारणा बनाई थी... वो आज भी नहीं बन पाया है। इसे मान लेना चाहिए कि केवल ओछी राजनिति और आधुनिक वोट बैंक थ्योरी के लिए ही मुसलमानों का उपयोग भारत में हो रहा है। देखा जाए तो देश में सबसे बड़ी और मुस्लिम परस्त कांग्रेस में कितने ऐसे नेता हैं जिन्हें मुसलमानों का मसीहा कहा जा सकता है.... ज्यादातर तो गांधी परिवार के दरबान ही दिखते हैं। लिहाज़ा देश का बटवारा जिस आधार पर हुआ था... क्या उसके बाद हिन्दुओँ को उनका अधिकार मिल पाया है। क्या वर्तमान में जो हालात असम में पैदा हो गए हैं... क्या उसे देखते हुए भविष्य में उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के मुस्लिमिस्तान बन जाने का खतरा नहीं है.... तब क्या ये सेक्यूलरवादी हिन्दुओं की रक्षा करेंगे.... बासठ साल पहले जो हालात थे.... वहीं हालात आज भी हैं.... और अगले बासठ साल में इस स्थिती के और भयावह होने के पूरे पक्के संकेत हैं। लिहाज़ा जरूरत सीधी सच्ची बात करने की है... और अब वक्त आ गया है कि राजनीति से ऊपर उठ कर ऐसे प्रयास किए जाएं ताकि देश में जनसंख्या का संतुलन बना रह सके.... नहीं तो जो लाला ने कहा था "हमें डर है की हिंदुस्तान के ७ करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान, मध्य एशिया अरब, मेसोपोटामिया और तुर्की के हथियार बंद गिरोह मिलकर अपर्त्याशित स्थिति पैदा कर देंगे." सच हो जाएगा.... । (वैसे देखा जाए तो हकीकत ये है कि देश के मुसलमान ये मुहीम छेड़ चुके हैं... जिहाद के नाम पर पाकिस्तान और बांग्लादेश से आतंकियों को बुलाकर उन्हे अपने घरों में शरण दे कर मासूम भारतीयों को निशाना बना रहे हैं.... ) .
अपने अतीत से इंकार क्यों करता है मुसलमान?
8 months ago
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