Tuesday, October 7, 2008

काहे का देशप्रेम

देखों भाइयों राजनीति की मंडी में....... अब चुनाव की फसेमील तैयार है.... पार्टी पार्टी, नेता नेता सब उसे काटने पर आमादा हैं..... देश में लोग, गरीबी भूख से लाचार हैं.... लोग आंतकियों से परेशान हैं.... इन्हें मगर सिर्फ अपनी रोटी से मतलब है..... नेता तो समाज को होता है.... लेकिन अब लगता है नेता किसी समुदाय के लिए है.... इसलिए वो मुसलमानों का रह गया है.... जो इनके खिलाफ बोल दे... तो वो देशद्रोही है सांप्रदायिक है..... अरे भाई इसका मतलब देश के ज्यादातर लोग देशद्रोही हैं.....